एक रूमानी चीज़

अतीत बुझी हुई, मिटी हुई या गुज़री हुई बात नहीं है। वह हमारे साथ चलता है ठीक हमारे पीछे।

आज सुबह स्वप्न में पिताजी को देखा। उनके साथ हमेशा दो दोस्त होते थे। स्वप्न में भी थे। उनसे बाइक स्टार्ट नहीं हो रही थी। मैं दूसरी कोशिश में उसे स्टार्ट कर देता हूँ।

जैसे प्रेयसियां अतीत हुई, जैसे पिताजी अतीत हुए ठीक उसी तरह आँख खुलते ही स्वप्न अतीत हो गया।

अगर मैं अतीत के दरिया में छोटी डोंगी लेकर उतर सकूँ तो मिल सकता हूँ बेहद हसीन लोगों से। देख सकता हूँ उनकी प्यार भरी आंखें। महसूस कर सकता हूँ कच्ची बाहों के घेरे। होठों पर उतार सकता हूँ गुलाबी सितारे। अपने कंधों को पा सकता हूँ मादक गन्ध से भरा हुआ।

अतीत भी एक रूमानी चीज़ है।
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