प्रेम की निर्मल नदी का नायक

दुनिया में एक बहुत छोटा सा तबका है जो तोड़फोड़ और हत्याओं में लगा रहता है। बाकी सब तो घर बनाने, बच्चों को लाड़ लड़ाने और प्रेम से जीवन बिताने के प्रयास में जीते हैं।

जिस तरह जड़ें अक्सर नहीं दिखाई देती उसी तरह जोड़ने वाले भी कम दिखते हैं जबकि जोड़ने वालों के उलट तोड़ने वाले अक्सर अधिक दिखते हैं।

मंदिरों-मस्जिदों, मूर्तियों और कलाकृतियों को तोड़ने वाले लोगों के बारे में कभी प्रचार न करो। उनके प्रति दया और उपेक्षा मिश्रित दृष्टि रखते हुए, इस गंदगी से आगे बढ़ जाओ।

हत्यारे और विनाशक भीतर से बेहद कायर हुआ करते हैं।

इन छोटे टुच्चे लोगों की क्या बात करते हो? क्या उस आदमी को भूल गए हो जो अभी दस बारह साल पहले ही मरा। वही कर्नल पॉल टिब्बेट्स। जिसने हिरोशिमा पर एटम बम गिराया था।

कर्नल पॉल जब अमेरिका लौटा तो उसका स्वागत एक महानायक की तरह किया गया था। घृणा से भरे अमेरिकी जापान में मासूमों के संहार का जश्न मना रहे थे। ये अमरीकी ट्विन टॉवर ध्वस्त होने पर डर के कारण मनोरोगी हो गए थे। इनकी नींद उड़ गई। ये अपने देश मे रह रहे सिखों, मुसलमानों और अन्य धर्मावलम्बियों पर अकारण हमले करने लग गए थे। क्यों भाई जापान की तबाही पर ख़ुश हुए और ख़ुद पर आंच आते ही मनोरोगी हो गए। ऐसा दोहरा व्यवहार क्यों?

वो कर्नल पॉल घृणा का नायक बना तो उसकी बीवी ने उसके साथ रहना स्वीकार नहीं किया। वह उसे छोड़ गई। कर्नल ने नया घर बसाया और अपनी करनी पर दम्भ भरता रहा। आख़िरकार वह भी मनोरोगी हो गया था। उसे सपने में दिखाई देता था कि लोग उसकी कब्र पर थूक रहे हैं। उसे इससे भी अधिक बुरा दिखता था।

उसने अपनी मौत के बाद कब्र न बनाये जाने की इच्छा रख दी थी। मृत्यु के बाद अपमानित होते रहने के भय के कारण उसने कहा कि मेरी देह को राख कर देना। मेरी राख भी इंग्लिश चैनल में बहा देना। ऐसा ही हुआ।

घृणा की अग्नि से जन्मा नायक आकाश की ओर उठती शिखा जैसा भव्य और असीमित दिखाई देता है लेकिन अल्पकाल में नाश करके ख़ुद भी नष्ट हो जाता है। इसके उलट प्रेम की निर्मल नदी का नायक नन्हीं रंगीन मछली सा होता है। हमारे हाथों में गुदगुदी करता दिल मे समा जाता है। वह जितना सूक्ष्म होता जाता है उतना ही असीम बनता है।

हत्याएं और तोड़फोड़ विचारधाराओं की लड़ाई नहीं है। हत्यारों ने विचार नाम के मुखौटे से अपना चेहरा ढक रखा है। इनका अंत भी पॉल टिब्बेट्स से भी बुरा होगा इसलिए कि कर्नल पॉल पढा लिखा शातिर और प्रशिक्षित व्यक्ति था। ये लोग उसके आगे क्या हैसियत रखते हैं?

इनको मुँह मत लगाओ, इनकी बात मत करो।
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[Painting image courtesy : Felix Murillo]

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