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जाको लागे वो रंग

तब तक के लिए

इस आग ही आग में

फ़ैसले के बाद का इक सवाल

उन दिनों के बुलावे

तुम्हारे उसका क्या हाल है?

उससे पहले

असंयत उद्विग्न

एक रोज़ तुम्हें मालूम हो

लगा लो होठों से

पार्टनर तुम आबाद रहो.

एक जुगलबंदी को

कासे में भरा अँधेरा

चल दिए सब चारागर

जाने किसी और बात की

केसी, क्या हो तुम?