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Showing posts from November, 2013

ज़ुबानदराज़ होकर भी बेज़ुबान

आखर पोटली वाले बातपोश की विदाई

आतिशदान के भीतर की गंध

बात, जो अभी तक न सुनी गयी हो.

मौत से भी ख़त्म जिसका सिलसिला होता नहीं.

उधर बकरे क़ुरबान, इधर बारूद