तुम्हारा नाम, किसी तितली की तरह

उस वक़्त कायदे से सुबह जा चुकी थी मगर रात भर न सो पाने की खुमारी में कोई उम्मीद कह रही थी कि वह इसी गली से गुज़रेगा। आपको रुलाने के बाद जाने कौन कितनी दूर से चल कर आता है। कितने ही वायदे और उम्मीदें खत्म कर के... मगर नहीं आता कुछ भी सब्र की तरह सब कुछ आता है ख़लिश की तरह

मैंने हवा में बनाया एक सुंदर किला
उसमें बनाया एक जालीदार झरोखा तुम्हारे नाम का
उसी तरफ छोड़ दिया तीर, एक गुलाबी पन्ने के साथ।

इस मुश्किल जिंदगी में आसान हैं सिर्फ रूमानी ख़याल।
* * *

मैं रोता रहा चार दिन और तीन रात तक

हालात के सिपहसालार बने रहे पत्थर की मूरतें
अदने से कारिंदे भी भीग न सके, आंसुओं की गीली आवाज़ से
इससे ज्यादा उदास करने वाली कोई बात नहीं बीती, मेरे साथ।
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मेरी जान, तुम्हें हर हाल में सोचना चाहिए
उन दिनों के बारे में, जो रोज़ खो जाते हैं, पश्चिम में

कि अभी तक मेरी मुट्ठी में बचा हुआ है, तुम्हारा नाम, किसी तितली की तरह
मगर मैं रहूँगा कब तक।
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