सब अँधेरों के एकांत से परे

अचानक से हवा का एक ठंडा झौंका आया है। खिड़कियाँ जाने कितने ही दिनों से खुली हुई थीं। एक दोस्त ने कहा था कि तुम जानते नहीं तक़दीर के बारे में कुछ। वह अपनी सहूलियत और सीढ़ियाँ खुद चुनती है, मगर तक़दीर है बहुत अच्छी...

उसने रचा यकीन का स्वयंवर
और बुलाये कई योग्य प्रतिभागी

कोई हार गया ये सब देख कर।
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खरगोश ने किया था उसे प्यार
सब रोशनियों के बीच
सब अँधेरों के एकांत से परे

बतख ने कहा, तुम गुनहगार हो, नेक्स्ट...
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इसके बाद नहीं सोचा उसने कुछ भी
कि डार्टबोर्ड के ठीक बीच वाले घेरे में लगा सकेगा कोई निशाना

उसने हाथ छोड़ कर कहा, अब लगाओ निशाना।
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मगर फिर भी
जादूगर लड़की मुस्कुराती है
खता खरगोश की है, कि उसी ने चाहा है।
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