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Showing posts from May, 2012

कौन गुज़रा था अभी..

दुखों पर ही अपना घर...

सितमगर कभी तेरा यूं देखना

तपते दिन में गीली जगह

ख़यालों की छाया का नाच

वह दिन कभी नहीं आएगा

कभी सोचो इस तरह

एक दिन सब कुछ हो जाता है बरबाद