मुझे आदत है, घरों में झांकते हुए चलने की


दुखों के बारे में नहीं सोचना चाहिए, यह भी नहीं कि हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ. अगर हम जान सकते मुड़ना तो रास्ते का कोई आखिरी छोर नहीं होता.

अक्सर मैं एक ऐसी ज़हीन लड़की से
करता हूँ बात
जो करती है दावा कि मुश्किलें सबके साथ है.
और ऐसे में कोई भी उठा लेगा तुम्हारा फायदा
इसलिए बंद रखो खिड़कियाँ दिल की .

मगर बंद तो रह नहीं पाता
कोई भी बीज
एक दिन फूट कर खिल ही जाता है, कभी न कभी.

बावजूद इसके अविश्वास से भरी लड़की ने
खूब बातें की मुझसे
उसके पहलू से उठते हुए, मैं कहना चाहता था
कि जिन्होंने की थी एक आसान दुनिया की कल्पना
उनको अपने मेनू से हटा देना चाहिए था प्रेम.

कुछ प्रार्थनाएं बेकार ही होती हैं
हम मांग रहे होते हैं किन्तु वे पूरी नहीं हो पाती. 
हमें खुश करने के लिए कहता है, हर कोई
कि जो चीज़ें नहीं बनी होती है हमारे लिए
ईश्वर उनसे बचा लेता है हमको .

इन बेढब बातों के बीच मुझे एक पते की बात मालूम है
कि मैं एक लालची आदमी हूँ
जो अक्सर ये हिसाब लगाता है कि क्या नहीं मिला
कल रात भी, मैं भर लेना चाहता था उसे अपनी बांहों में...

मुझे आदत है घरों में झांकते हुए चलने की
और घरों से आती आवाजें सुनने की
कल एक माँ अपने बच्चे से कह रही थी, ज़ख्मों को रहने दो खुली हवा में

सच
प्रेम में रोना एक अच्छा काम है.