तामीर में शामिल एकाकीपन...

बावरी हवा ने विदा होते मौसम के पदचिन्ह पौंछ डाले थे और आने वाले मौसम का इंतज़ार करने के सिवा कोई रास्ता न था. ऐसी ही आज की शाम थी. मेरे कंधों पर एक नीले रंग का जेकेट रखा है ठीक वैसे कि तुझे भूल जाएँ तो बेहतर या याद आती रहे तो अच्छा... जाने दो, बेवजह की बात सुनो.


अक्सर मेरे हाथ लगती थी
एक तस्वीर
तनहा, गुमसुम और बेनियाज़.

कि अद्भुत रचयिता ने
लड़कियों की तामीर में
शामिल रखा, एकाकीपन.

लड़के मगर बुनते रहे
अपना एकांत, शराब के दो प्यालों से.
* * *

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