Posts

Showing posts from September, 2010

शोक का पुल और तालाब की पाल पर बैठे, विसर्जित गणेश

आओ शिनचैन लड़कियों के शिकार पर चलें

हरे रंग के आईस क्यूब्स

मुंह के बल औंधे गिरे हों और लॉटरी लग जाये

मैं तुम्हारी आँखों को नए चिड़ियाघर जैसा रंग देना चाहती हूँ

दिनेश जोशी, आपकी याद आ रही है.

हम तुम... नहीं सिर्फ तुम

अफीम सिर्फ एक पौधे के रस को नहीं कहते हैं