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Showing posts from July, 2009

दो ढक्कन

मेरे सब दोस्तों में बाबू लाल एक मात्र सच्चा शराबी था उसने ब्रांड , स्थान और शराबियों में किसी भी प्रकार का भेदभाव किए बिना मयकशी को सुन्दरता प्रदान की। उसका दिल प्यार से भरा था और वह एक पैग से ही छलकने लग जाए इतना हल्का भी नहीं था। मैं हमेशा अपनी शाम उसके साथ ही बिताना चाहता था किंतु सच्चा शराबी एक ही बंधन से बंधा होता है शराब के ... उसके लिए बाक़ी सब चीजें होती ही नहीं और होती है तो कहीं रेत के टिब्बों में किसी हरी झाड़ी के समान विरली। पीने और ना पीने वाले तमाम शायरों के शेर में मुझे उसी का हुस्न जगमगाता दिखाई पड़ता था। हम बीस साल पुराने पियक्कडों में वह सबसे अधिक लोकप्रिय था। मेरे सिवा पूरी टीम के समक्ष संविधान की अनिवार्य शर्तें लागू थी वे कभी बच्चे का जन्म दिन , कभी रीलिविंग पार्टी , कभी कभी किसी राष्ट्रीय आपदा पर गंभीर चर्चा के बहाने अपनी बीवियों को पटाते और फ़िर पीने आते थे। उनके लिए वो दिन अत्यधिक उत्साह से भरा ह

मौज लेण की टेम मतबल आदमी के साथ आदमी फ्री

रे लंगङों थम बैठे हो यहाँ इब तो मौज लेण की टेम आई है ल्या रे बाबू मेरे भी ढक्कन भर पूरी तो .... सहायक अभियंता साब टांग चढाये मुर्गे से हो के आराम की मुद्रा में आ गए पीण आले सब बोतल ने देखते से आण आले टेम में कित्ते बजट की और जरूरत का हिसाब करण लगे जद के भागू ने अपणे कान पर हाथ धर के पता लगाया की कित्ती चढी है मरजाणी घराली ने ' बिना बताये शराब छुड़ाये ' वाले हकीम के झांसे में आके सात दिन दवा दे दी । उसकी तो भेन के ... आठवें दिन पता चला कि बरसों का खेलाड़ी भागू दो पैग में फ़ैल हो गया , गरीब की गधी लुटगी , इससे तो मर जाणा भला , भागू दो पैग अन्दर ठूंसता तो तीन बाहर आ गिरते , पानीपत से बड़ी लड़ाई चली कई दिनां के बाद भागू ने अपने जाट दिमाग का काम लिया फेर पता चला के बिना बताये दवाई काम करगी। कान धीरे धीरे लाल हो रहे थे मतबल के आज चढ़नी है। चुस्की दर चुस्की ... साब बड़े मजे ले रया था के आँख चमक पड़ी।